वाराणसी। समृद्ध
परंपरा और संस्कृति की सुगंध के पर्याय काशी को स्मार्ट सिटी योजना के तहत अलग तरह
से संवारा जा रहा है। ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों को उनके मौलिक स्वरूप में विकसित
किया जा रहा है। उनके अस्तित्व और आकार से छेड़छाड़ नहीं की जाएगी। इसके तहत शहर के
3.5 किलोमीटर
लंबे घाटों को उन्हीं के स्वरूप में चमकाया जाएगा। पायलट प्रोजेक्ट में दरभंगा घाट
से दशाश्वमेध तक पांच घाटों को संवारने की शुरूआत हो चुकी है। इसके अलावा यहां के
पुराने क्षेत्रों को पर्यटकों के लिहाज से तैयार किया जाएगा।
केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी
स्मार्ट सिटी योजना के तहत नए क्षेत्रों को विकसित करने के बजाय ऐतिहासिक और
धार्मिक स्थलों को उनके मूल स्वरूप में तैयार कराया जा रहा है। इसमें घाटों पर
सीढि़यों की मरम्मत के साथ ही उनके फसाड़ (इमारत) को दुरुस्त किया जाएगा। मगर, उनमें
दरार आदि पर उसी सामग्री से भराव किया जाएगा।
घाटों को मूल रूप में लाने के लिए उन पर जगह-जगह हुए पेंट को हटाया जा रहा है। घाटों पर परंपरागत छतरियां भी लगाई जाएंगी। घाटों से जुड़े पुराने क्षेत्रों को भी उनके ही स्वरूप में बरकरार रखा जाएगा।
घाटों को मूल रूप में लाने के लिए उन पर जगह-जगह हुए पेंट को हटाया जा रहा है। घाटों पर परंपरागत छतरियां भी लगाई जाएंगी। घाटों से जुड़े पुराने क्षेत्रों को भी उनके ही स्वरूप में बरकरार रखा जाएगा।