Saturday, April 28, 2018

UPSC : बनारस के चार मेधावियों का चयन, सगे भाई-बहन ने लहराया परचम


लोक सेवा चयन आयोग की प्रतियोगी परीक्षा का परिणाम शुक्रवार को घोषित हो गया। इसमें काशी के चार मेधावियों ने अपना परचम लहराया है। खास बात ये कि एक ही परिवार के भाई-बहन ने यूपीएससी में सफलता हासिल कर नई इबारत लिखी।
टकटकपुर के रहने वाले बहन भाई डॉ. प्रियंका सिंह व राव प्रवीण सिंह समेत मढ़ौली की रूपसी सिंह और बीएचयू के प्रोफेसर वीके मिश्र की बहू अनुकृति शर्मा ने सिर्फ अपने मां पिता और परिवार बल्कि काशी का भी मान बढ़ा दिया है। 

हंसनगर कॉलोनी टकटकपुर निवासी प्रभु नारायण सिंह के घर गुरुवार को  दोगुनी खुशी छाई हुई । इनकी बड़ी बेटी प्रियंका और छोटा बेटा प्रवीण सिंह ने यूपीएससी में कमाल किया है। बेटे ने 152वीं तो बेटी ने 309वीं रैंक हासिल की है।

इंजीनियरिंग करने के बाद दूसरे प्रयास में प्रवीण सिंह ने 152वीं रैंक हासिल कर न सिर्फ अपना बल्कि परिवार को भी गौरवान्वित कर दिया है।

2014 में बीटेक पूरा करने के बाद किसी कंपनी में जॉब करने की बजाय उन्होंने सिविल सर्विसेज की तैयारी करनी शुरू की। अपनी इस सफलता से खुश प्रवीण सिंह कहते हैं कि मुझे आईपीएस मिलना तो तय है। जो लक्ष्य बनाया था, आज उसे पूरा कर लिया है। अपनी बहन को ही मैंने अपना आदर्श माना है।

उधर इनकी बड़ी बहन डॉ. प्रियंका पहले ही आईआरएस की ट्रेंनिंग में हैं। प्रियंका संत अतुलानंद स्कूल की 2005 की डिस्ट्रिक्ट टॉपर रही हैं। 2012 में उन्होंने मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस किया और फिर 2014 में एमडी।
डॉक्टरी में दिल नहीं लगा क्योंकि लक्ष्य सिविल सर्विसेज था। सिविल सर्विसेज की तैयारी में लगीं तो बीते साल यूपीएससी में 362 रैंक मिली। वर्तमान समय में डॉ. प्रियंका आईआरएस में ट्रेनिंग ले रही हैं।
 
मेहनत दिल से करो तो सफलता जरूर मिलती है
मढ़ौली की रहने वाली रूपसी सिंह ने 325वीं रैंक हासिल की है। वर्तमान में रूपसी इंडियन रेलवे सर्विस ऑफ मेकैनिकल इंजीनियरिंग (आईआरएसएमई) में प्रोबेशनर हैं। इनके पिता डॉ. अनिल प्रताप सिंह हरिश्चंद्र पीजी कॉलेज में वाणिज्य विभाग में प्रोफेसर हैं। रूपसी का ये दूसरा प्रयास था।

पहले प्रयास में मेन्स में चार नंबर से रह गई थीं। रूपसी का कहना है कि मेहनत दिल से करो तो सफलता जरूर मिलती है। वहीं दिल्ली में रह रहीं अनुकृति शर्मा ने चौथे प्रयास में 355 रैंक हासिल की है।

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजूकेशन एंड रिसर्च में पढ़ाई के बाद अनुकृति अपने पति अंकित के साथ पीएचडी करने अमेरिका चली गई थीं लेकिन मन सिविल सर्विसेज में ही लगा था।

एक साल बाद दोनों पति पत्नी पीएचडी प्रोग्राम छोड़कर वापस लौट आए और यहीं तैयारी करने लगे। बिना किसी कोचिंग के चौथे प्रयास में अनुकृति ने 355 वीं हासिल की है। अनुकृति के ससुर प्रो. वीके मिश्र बीएचयू में प्रोफेसर हैं।