बिरहा सम्राट पद्मश्री हीरालाल यादव |
लोक गायन की
बिरहा विधा के शीर्ष गायक और बिरहा सम्राट के नाम से पुकारे जाने वाले सादगी पसंद
हीरालाल यादव का रविवार की सुबह निधन हो गया। अपने घर पर ही सुबह दस बजे उन्होंने
अंतिम सांस ली। इसी साल उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा गया था। वह कई दिनों से
बीमार चल रहे थे. उत्तर प्रदेश सरकार ने उन्हें 93-94 में संगीत नाटक अकादमी सम्मान और 2014 में यशभारती दिया।
विश्व भोजपुरी अकादमी का भिखारी ठाकुर सम्मान व रवींद्र नाथ टैगोर सम्मान भी मिला
था।
मूलरूप से
वाराणसी में हरहुआ ब्लाक के बेलवरिया निवासी हीरालाल यादव का जन्म वर्ष 1936 में चेतगंज स्थित
सरायगोवर्धन में हुआ। उनका बचपन काफी गरीबी में गुजरा। शौकिया गाते-गाते अपनी
सशक्त गायकी से बिरहा को उन्होंने राष्ट्रीय फलक पर पहचान दिलाई और बिरहा सम्राट
के रूप में ख्यात हुए। उन्होंने 1962 से उन्होंने आकाशवाणी व दूरदर्शन पर बिरहा के शौकीनों को अपना
दीवाना बनाया। भक्ति रस में पगे लोकगीत और कजरी पर भी श्रोताओं को खूब झुमाया।
गायकी में शास्त्रीय पुट ने बिरहा गायन को विशेष विधा के तौर पर पहचान दिलाई।