श्री काशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र स्थित अति प्राचीन पीपल के पेड़ को उच्चाधिकारियों की अनुमति के बिना ही कटवा दिया गया। मामले में सीएम और डीएम को पत्र लिखकर शिकायत की गई है। पेड़ कटने की अनुमति न तो नगर निगम ने दी और ना ही वन विभाग ने।
सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में इसका खुलासा हुआ है। मुख्यमंत्री को लिखे गए पत्र में पूछा गया है कि जब नगर निगम और वन विभाग द्वारा प्राचीन पीपल का पेड़ काटने का आदेश नहीं दिया गया तो इसे किसके आदेश पर काटा गया है।जबकि पीपल का पेड़ बिना अनुमति के काटना अपराध की श्रेणी में आता है। जिलाधिकारी ने इस मामले में जांच के निर्देश दिए हैं। मंदिर परिक्षेत्र में सरस्वती फाटक गेट नंबर दो के पास मकानों के अधिग्रहण के बाद ध्वस्तीकरण की कार्रवाई चल रही है।
मकान नंबर सीके 35/5 में स्थित अति प्राचीन पीपल के पेड़ को बिना किसी अनुमति के मंदिर प्रशासन ने कटवा दिया। स्वकर्म संस्थान की ओर से जब इस मामले में नगर निगम के उद्यान विभाग से आरटीआई के माध्यम से सूचना मांगी गई।
विभाग ने जवाब दिया कि निगम के उद्यान विभाग की ओर से इस मामले में कोई आदेश नहीं दिया गया है और न ही पेड़ कटवाया गया है। वन विभाग की ओर से भी यही जवाब दिया गया कि पेड़ कटवाने के लिए कोई आदेश नहीं दिया गया है।
काशी करवट के महंत मुन्ना पंडित और स्थानीय निवासी भईयो गुरु ने बताया कि इस पेड़ के बारे में हम लोग अपने पुरखों से सुनते आ रहे थे। यह पेड़ लगभग डेढ़ सौ साल से भी अधिक पुराना था लेकिन न जाने क्यों इसे काट दिया गया है।